Saturday, March 10, 2012

क्यों है हर सफ़र का मंजिल होना जरूरी
क्यों है हर एक को  कुछ पाने की आस
क्यों नहीं जीते चन्द लम्हे भर पूर
कल की सौच के क्यों करते हो आज खराब
क्या  पाना ही जीवन है ?
क्यों नहीं बहते झरने  की तरह
जो जानती है खेल मिलने बिचड़ने का
अगर  मिलना है संजोग तो कब कोई मिल गया पता ही नहीं चलेगा