क्यों है हर सफ़र का मंजिल होना जरूरी
क्यों है हर एक को कुछ पाने की आस
क्यों नहीं जीते चन्द लम्हे भर पूर
कल की सौच के क्यों करते हो आज खराब
क्या पाना ही जीवन है ?
क्यों नहीं बहते झरने की तरह
जो जानती है खेल मिलने बिचड़ने का
अगर मिलना है संजोग तो कब कोई मिल गया पता ही नहीं चलेगा
क्यों है हर एक को कुछ पाने की आस
क्यों नहीं जीते चन्द लम्हे भर पूर
कल की सौच के क्यों करते हो आज खराब
क्या पाना ही जीवन है ?
क्यों नहीं बहते झरने की तरह
जो जानती है खेल मिलने बिचड़ने का
अगर मिलना है संजोग तो कब कोई मिल गया पता ही नहीं चलेगा