Thursday, December 08, 2011

शुक्रिया


पेड़ की छाव
सूरज की गर्मी
फूलों की मुस्कान
है हर मौसम में एक समान

बांटे  तू ख़ुशी,  बढाए उमंग
मेरे हर  मौसम में

आज समझी क्या है तेरा मूल धर्म
प्यार, प्यार, बस निर्मल प्यार 

ए खुदा, शुक्रिया




 
   


 

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