शुक्रिया
पेड़ की छाव
सूरज की गर्मी
फूलों की मुस्कान
है हर मौसम में एक समान
बांटे तू ख़ुशी, बढाए उमंग
मेरे हर मौसम में
आज समझी क्या है तेरा मूल धर्म
प्यार, प्यार, बस निर्मल प्यार
ए खुदा, शुक्रिया
पेड़ की छाव
सूरज की गर्मी
फूलों की मुस्कान
है हर मौसम में एक समान
बांटे तू ख़ुशी, बढाए उमंग
मेरे हर मौसम में
आज समझी क्या है तेरा मूल धर्म
प्यार, प्यार, बस निर्मल प्यार
ए खुदा, शुक्रिया
No comments:
Post a Comment