रिश्ते
रिश्तों की कोई सीमा नहीं
यह तो एक पतंग की तरह बस बड़ी चली जाती है
ईसे तो बस एक पवन जैसे साथी की जरूरत है, जिसके साथ मिजाज़ अच्छे से मिलते हो
फिर किसे फिकर, किस ओउर चल दिए
फिर तो बस, यह सफर ही मंजिल हो जाता है
पर जहा रिश्तो में कुछ पाने की आस हो या अपनी इच्छा थोपने की लालसा
जहा किसी और की भावना का तिरस्कार हो
वोह रिश्ते दूर तक नहीं जा पाता
मनो पतंग उडाने वाले ने अपनी ही नासमझी से पतंग कटवा दी हो
कहते है एक पाक रिश्ते में ईशवर बसता है
शायद दुनिया में एक सच्चे रिश्ते से जादा अनमोल कुछ नहीं
और एक ख़राब रिश्ते से बड़ी सज़ा कोई और नहीं
4 comments:
Beautifully written.. I completely agree with the last two lines...
Beautiful thoughts Madhu. The imagination of kite and wind is wonderful.
at last. in hindi. i can understand this stuff now. :-)
Amazing writing Madhu! I never knew this side of your personality, deep thoughts wonderfully worded!
Post a Comment