कोन सा है पथ सही, कोन सा ग़लत
नहीं बूझ पाता यह दिल कभी
अपनी ही सोच में नहीं मिलता तुक कभी
इक अजब कश्मकश में पाती हु खुद को में
ए सखी , सुनो शान्ति से अपने मन की
वो ही देखाएगा तुमे रास्ता
सचाई और सुकून का
माना पथ है कठीन, और जाना है अकेले
पर यू ही चलते चलते ही मिलेँगी नयी आशाएँ
जो भरेंगी तुम्हे और देखएँगी एक नया लक्ष्य ज़िन्दगी का
नहीं बूझ पाता यह दिल कभी
अपनी ही सोच में नहीं मिलता तुक कभी
इक अजब कश्मकश में पाती हु खुद को में
ए सखी , सुनो शान्ति से अपने मन की
वो ही देखाएगा तुमे रास्ता
सचाई और सुकून का
माना पथ है कठीन, और जाना है अकेले
पर यू ही चलते चलते ही मिलेँगी नयी आशाएँ
जो भरेंगी तुम्हे और देखएँगी एक नया लक्ष्य ज़िन्दगी का
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